Tuesday, November 14, 2017

कि देश में अच्छे दिन चल रहे हैं...

छत्तीसगढ़ में जवान गोली खा रहे हैं
और कश्मीर में पत्थर झेल रहे हैं,
अमन चैन और सदभाव के दावे
बस आगे से आगे टल रहे हैं।
फिर हम किस मुंह से कह रहे हैं
कि देश में अच्छे दिन चल रहे हैं।
दिल्ली में किसान मूत्र पी रहे हैं
लोग घुटन व तनाव में जी रहे हैं,
वादों और घोषणाओं के सब्जबाग
आम जन को यहां छल रहे हैं।
फिर हम किस मुंह से कह रहे हैं
कि देश में अच्छे दिन चल रहे हैं।
कांग्रेस मुक्त भारत की कहानी,
नई बोतल में है शराब पुरानी,
फकत सत्ता सुंदरी के खातिर,
भेष बहुरूपिए बदल रहे हैं।
फिर हम किस मुंह से कह रहे हैं
कि देश में अच्छे दिन चल रहे हैं।
नोटबंदी व लालबत्ती की बातें,
बिन मौसम की जैसी बरसातें,
करूं पड़ोसी से शिकवा क्या 'माही'
अपने ही अपनों को छल रहे हैं।
फिर हम किस मुंह से कह रहे हैं
कि देश में अच्छे दिन चल रहे हैं।

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